शैक्षणिक पक्ष
विद्यालय में श्री प्रमोद चमोली की नियुक्ति से पूर्व कोई भी स्थाई अध्यापक नहीं था। जिससे बच्चों का शैक्षणिक स्तर बहुत ही न्यून था और अत्यन्त कम समय में इस स्तर में गुणात्मक सुधार लाना एक चुनौती से कम नहीं था। लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता के लिए उन्होंने कुछ पारम्परिक विधियों से हटकर कुछ अलग प्रयास किए जो काफी प्रभावशाली लगे और गुणात्मक सुधार हुए हैं। जो कि निम्न प्रकार हैं –
- चित्रों के माध्यम से पढ़ाई:- दीवारों पर बने चित्रों के माध्यम से पढ़ना और पढ़ाना बच्चों को रूचिकर लगता है और बच्चे आसानी से समझ और याद कर लेते हैं। यह प्रयोग एकल विद्यालय मे कार्यरत् शिक्षकों के लिए बहुत प्रभावी हो सकता है। उन्होंने इन चित्रों को प्रयोग अपने शिक्षण कार्य में किया। जिसके उत्साहजनक परिणाम रहे। कक्षा 1 से 5 के सभी बच्चों को ज्यामितीय आकृतियाॅं, उनके उदाहरण, सौरमंडल के ग्रह, गिनती, अक्षर ज्ञान, शरीर के अंगों के नाम आदि न सिर्फ आसानी से याद हो गए बल्कि उनकी समझ भी बढ़ गई।
- कंप्यूटर के प्रयोग द्वारा:- कंप्यूटर बच्चों के लिए सदा ही रोचक वस्तु रहा है। कंप्यूटर गेम, विडियोज, संगीत आदि बच्चों को आर्कषित करते हैं। इसी का लाभ उनके शैक्षिक स्तर को सुधारने में मिला। हिन्दी कविताएं -कहानियां -बालगीत, इंगलिश राइम्स -स्टोरीज आदि ने बच्चों को सीखने में बहुत सहायता की। वहीं सामान्य विज्ञान के जटिल समस्याओं को कंप्यूटर में विडियोज का माध्यम से समझाने में सहायता मिली। ब्रहमाण्ड में सौर मंडल और ग्रह किस प्रकार से रहते हैं, कौन सा जानवर या पक्षी किस प्रकार की आवाजें करता है, एक और एक दो कैसे होते हैं आदि विषय बच्चे आसानी से समझने लगे हैं।
- एंड्राइड मोबाइल के प्रयोग से:- गूगल प्ले स्टोर पर बच्चों के लिए हजारों निःशुल्क एप्लीकेशन्स उपलब्ध हैं। इन्हीं एप्लीकेशन्स का प्रयोग करते हुए बच्चों को सहज तरीकों से किसी विषय या बिन्दु को समझाया जा सकता है। उन्होंने भी कुछ निम्नलिखित प्रमुख एप्लीकेशन्स अपने एंडाइड फोन पर डाउनलोड की -भ्पदकप ।सचींइमजए ज्वच 50 त्ीलउमेए ज्ञपके डंजीेए ब्ीपसकतमद ैवदहेए 50 भ्पदकप त्ीलउमेए ।ठब्क् च्तमेबीववसए ज्ञंइपत ज्ञम क्वीमए ब्वनदजपदह 123 आदि। यह शिक्षण को रोचक बनाने में कारगर शाबित हुए।
- खेलकूद आधारित गतिविधियों का प्रयोग करके:- बच्चे खेल खेल में सहजता से सीखते हैं। लूडो, साॅंप-सीढ़ी, मैप रीडिंग आदि जैसे खेलकूद से बच्चों के अधिगम स्तर में सुधार हुआ।
- प्रार्थना सभा का हिन्दी के साथ अंग्रेजी संचालन:- बच्चे प्रार्थना सभा हिन्दी के साथ अंग्रेजी में भी करने लगे हैं। जिसमें प्रतिज्ञा, प्रार्थना, माॅर्निंग राइम, ग्रुप सांग, कमाण्ड, बच्चों के परिचय, सामान्य ज्ञान के प्रश्नोत्तर आदि प्रमुख हैं। इसने बच्चें अपना परिचय तथा अन्य संक्षिप्त वार्तालाप हिन्दी के साथ अंग्रेजी में देना सीख गए।
- संगीत बाद्ययंत्रों एंव एम्प्लीफायर के साथ प्रार्थनासभा का आयोजन:- संगीत प्रार्थना सभा को रोचक बनाते हैं। वहीं ग्रामीण परिवेश में एम्प्लीफायर से प्रार्थना सभा सभी को आकर्षित करती है। जिससे बच्चों में समय पर आने की प्रवृति का विकास होता है। माइक पर लगातार बोलते रहने से बच्चों के अन्दर विभिन्न मंचों पर बोलने का आत्म विश्वास बढ़ता है। हमारे विद्यालय के बच्चे किसी भी प्रश्न का बे-झिझक उत्तर दे देते हैं। इससे उनके अन्दर आत्म विश्वास बढ़ा है। बच्चे माइक पर संगीत धुन के साथ गीत कविताएं अािद गाने लगे है। और इन कार्यों के लिए उनमें उत्साह देखा जा रहा है।
- रोचक सहायक पाठ्य-पुस्तकों का पाठ्यक्रम में समावेश:- बच्चों को रंगीन और चित्रमय पुस्तकें अपनी पारम्परिक पाठ्य-पुस्तकों से ज्यादा आकर्षित करती है। मैंने इस गुण का लाभ उठाने के लिए सम्पत्ति देवी पब्लिक स्कूल रायवाला की प्रधानाचार्या महोदया श्रीमती सरस्वती देवी जी से संपर्क किया और विद्यालय हेतु निःशुल्क अतिरिक्त पुस्तकें उपलब्ध कराई। बच्चे अपनी पाठ्य-पुस्तकों के साथ साथ इन सहायक पुस्तकों पढ़ने में रूचि लेते हैं और अपने ज्ञान, कौशल आदि गुणों का विकास कर रहे हैं।
- प्रोजेक्टर और एल0ई0डी0 का उपयोग:- बच्चों को किसी भी विषयवस्तु को संजीव देखना रूचिकर लगता है। इसलिए विद्यालय में प्रोजेक्टर, एम्पलीफायर और एल0ई0डी0 की व्यवस्था समुदाय के सहयोग से की गई। शुद्ध पेयजल का प्रयोग:- विद्यालय में बच्चे शुद्ध पेयजल ही प्रयोग करें इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। इससे उनके स्वास्थ्य में अच्छा प्रभाव पड़ा है। बच्चों की लगभग शत्-प्रतिशत उपस्थिति इस बात का प्रमाण है।
- आकर्षक टी0एल0एम0 का उपयोग:- आई0सी0टी0, चित्रकला के साथ ही सुन्दर एवं आर्कषक टी0एल0एम0 का प्रयोग विद्यालय में किया जा रहा है ताकि बच्चे विभिन्न सम्बोधों को सुगमता से समझ सकें।
- समुदाय के सहयोग से स्वच्छता एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम:- समय समय पर सामुदायिक सहभागिता से विद्यालय में स्वच्छता, वृक्षारोपण आदि कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं ताकि विद्यालय के प्रति अभिभावकों और ग्रामीणों का सकारात्मक रूझान बना रहे। वहीं बच्चे भी स्वच्छता एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक होते हैं।